Monday, February 16, 2015

Sadhana Karu Pyare Part-7

In this episode of the series of discourses on Kripaluji Maharaj's kirtan "Sadhana Karu Pyare"(साधना करु प्यारे), Swami Mukundananda talks about the most difficult aspect of devotion-selflessness. Lines covered in this episode: उनका सुख ही चहहु निशि दिन, सुख न निज चहु प्यारे । उनकी इच्छा में ही अपनी, राखु इच्छा प्यारे । उनकी सेवा ही चहहु नित, अष्टयामी प्यारे ।



2 comments:

  1. उनका सुख ही चहहु निशि दिन, सुख न निज चहु प्यारे । उनकी इच्छा में ही अपनी, राखु इच्छा प्यारे । उनकी सेवा ही चहहु नित, अष्टयामी प्यारे ।
    In this beautiful line Maharaj ji reveals the key of sadhana & Swamiji explains it nicely.

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  2. उनका सुख ही चहहु निशि दिन, सुख न निज चहु प्यारे । उनकी इच्छा में ही अपनी, राखु इच्छा प्यारे । उनकी सेवा ही चहहु नित, अष्टयामी प्यारे ।Incredible lecture by Shree Maharaj ji and wonderful explanation by Swami Mukundananda ji.

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