In this episode of the series of discourses on Kripaluji Maharaj's kirtan "Sadhana Karu Pyare"(साधना करु प्यारे), Swami Mukundananda talks about the most difficult aspect of devotion-selflessness.
Lines covered in this episode:
उनका सुख ही चहहु निशि दिन, सुख न निज चहु प्यारे ।
उनकी इच्छा में ही अपनी, राखु इच्छा प्यारे ।
उनकी सेवा ही चहहु नित, अष्टयामी प्यारे ।
उनका सुख ही चहहु निशि दिन, सुख न निज चहु प्यारे । उनकी इच्छा में ही अपनी, राखु इच्छा प्यारे । उनकी सेवा ही चहहु नित, अष्टयामी प्यारे ।
ReplyDeleteIn this beautiful line Maharaj ji reveals the key of sadhana & Swamiji explains it nicely.
उनका सुख ही चहहु निशि दिन, सुख न निज चहु प्यारे । उनकी इच्छा में ही अपनी, राखु इच्छा प्यारे । उनकी सेवा ही चहहु नित, अष्टयामी प्यारे ।Incredible lecture by Shree Maharaj ji and wonderful explanation by Swami Mukundananda ji.
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