In the third episode of the series of discourses on Kripaluji Maharaj's kirtan "Sadhana Karu Pyare"(साधना करु प्यारे), Swami Mukundananda says that in order to conquer mind we need God's grace. For that we need to take mind towards God or meditate upon God. He emphasizes that, the proper form of meditation is to meditate upon the form of God. This is also the way to conquer or tame the mind.
प्रथम करु हरि ध्यान मन ते, जैसी रूचि हो प्यारे ।
ध्यान ही है साधना का, प्राण जीवन प्यारे ।
ध्यान बिनु सब साधना है, प्राण बिनु तनु प्यारे ।
मन को जो भाये बना लो, रूप वैसा प्यारे ।
सामने हरि को बिठा कर, साधना करू प्यारे ।
प्रथम करु हरि ध्यान मन ते, जैसी रूचि हो प्यारे ।
ध्यान ही है साधना का, प्राण जीवन प्यारे ।
ध्यान बिनु सब साधना है, प्राण बिनु तनु प्यारे ।
मन को जो भाये बना लो, रूप वैसा प्यारे ।
सामने हरि को बिठा कर, साधना करू प्यारे ।
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